अब ना मैं हू ना बाकि हैं ज़माने मेरे ,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे ,
जिंदगी हैं तो नए झखम भी लग जाएंगे ,
अब भी बाकि हैं कई दोस्त पुराने मेरे
- राहत इंदौरी |
Rahat Indori |
Great Personality | मशहूर शायर Rahat Indori का दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार को निधन हो गया | वे Coronavirus से भी संक्रमित थे, जिसके उपचार के लिए उन्हें Madhyapradesh के Indore में 9 August की देर रात श्रीअरबिंदो Hospital में Admit कराया गया था | Dr. Rahat Indori को आज रात 9.30 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा | यह जानकारी Rahat Indori के बड़े बेटे फैजल राहत ने दी है |
Rahat Indori ने खुद भी Twitter पर इस बात की जानकारी दी थी | उन्होंने लिखा था, 'कोविड के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर कल मेरा कोरोना टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है | ऑरबिंदो हॉस्पिटल में एडमिट हूं, दुआ कीजिये जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं | एक और इल्तेजा है, मुझे या घर के लोगों को फ़ोन ना करें, मेरी ख़ैरियत ट्विटर और फेसबुक पर आपको मिलती रहेगी |'
Rahat Indori का जन्म Indore इ में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा बेगम के यहाँ हुआ । वे उन दोनों की चौथी संतान हैं । उनकी प्रारंभिक शिक्षा Nutan school Indore में हुई । उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी Graduate पूरी की और 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में MA किया । तत्पश्चात 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में P.HD की उपाधि प्राप्त की ।
Rahat Indori की निजी जिंदगी -
Rahat Indori की दो बड़ी बहनें थीं जिनके नाम तहज़ीब और तक़रीब थे,एक बड़े भाई अकील और फिर एक छोटे भाई आदिल रहे । परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी और राहत जी को शुरुआती दिनों में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था । उन्होंने अपने ही शहर में एक साइन-चित्रकार के रूप में 10 साल से भी कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था । चित्रकारी उनकी रुचि के क्षेत्रों में से एक थी और बहुत जल्द ही बहुत नाम अर्जित किया था । वह कुछ ही समय में Indore इंदौर के व्यस्ततम Singboard चित्रकार बन गए । क्योंकि उनकी प्रतिभा, असाधारण डिज़ाइन कौशल, शानदार रंग भावना और कल्पना की है कि और इसलिए वह प्रसिद्ध भी हैं । यह भी एक दौर था कि ग्राहकों को राहत द्वारा चित्रित बोर्डों को पाने के लिए महीनों का इंतजार करना भी स्वीकार था । यहाँ की दुकानों के लिए किया गया पेंट कई Signboards पर Indore में आज भी देखा जा सकता है ।
प्रदर्शन-
Dr. Rahat Indori लगातार 40 से 45 साल के मुशैरा और कवी सम्मेलन में प्रदर्शन कर रहे हैं । कविता पढ़ने के लिए उन्होंने व्यापक रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा की है उन्होंने भारत के लगभग सभी जिलों में कवि संप्रदायों में भाग लिया है और कई बार America,Britain , Canada, Singapur, Mauritius, KSA,Kuwait , Behrien, Oman, Pakistan,Bangladesh ,Nepal आदि से भी यात्रा की है ।
प्रसिद्ध फ़िल्मी गीत -
राहत इंदौरी ने लगभर दो दर्जन फ़िल्मों में गीत लिखे । उनके प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्म गीत कुछ इस प्रकार हैं-
- आज हमने दिल का हर किस्सा (फ़िल्म- सर)
- तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है (फ़िल्म- खुद्दार)
- खत लिखना हमें खत लिखना (फ़िल्म- खुद्दार)
- रात क्या मांगे एक सितारा (फ़िल्म- खुद्दार)
- दिल को हज़ार बार रोका (फ़िल्म- मर्डर)
- एम बोले तो मैं मास्टर (फ़िल्म- मुन्नाभाई एमबीबीएस)
- धुंआ धुंआ (फ़िल्म- मिशन कश्मीर)
- ये रिश्ता क्या कहलाता है (फ़िल्म- मीनाक्षी)
- चोरी-चोरी जब नज़रें मिलीं (फ़िल्म- करीब)
- देखो-देखो जानम हम दिल (फ़िल्म- इश्क़)
- नींद चुरायी मेरी (फ़िल्म- इश्क़)
- मुर्शिदा (फ़िल्म - बेगम जान)
प्रसिद्ध ग़ज़ल-
अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है
सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है
Rahat Indori के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ-
o उनका जन्म Madhyapradesh स्थित Indore के एक कपड़ा मिल कर्मचारी के घर हुआ था ।
o अपने परिवार में भाई बहनों में वह चौथे स्थान पर हैं ।
o वर्ष 1972 में, उन्होंने 19 वर्ष की आयु में अपनी पहली कविता को सार्वजनिक रूप से पढ़ा ।
o School And Collage के दौरान वह काफी प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे, जहां वह Hockey And Football टीम के कप्तान थे ।
o वर्ष 1973 में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद,अगले दस वर्ष उन्होंने आवारगी में बिताए क्योंकि वह यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि जीवन में क्या किया जाए । और यहां-वहां घूमते रहते थे । हालांकि, अपने दोस्तों से प्रोत्साहित होने के बाद, उन्होंने उर्दू साहित्य में स्नातकोत्तर करने का मन बनाया और जिसे स्वर्ण पदक के साथ उत्तीर्ण किया ।
o उन्हें देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर में पढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव मिला था । चूंकि शिक्षण के लिए पीएच.डी. की डिग्री अनिवार्य थी, इसलिए उन्होंने उर्दू साहित्य में पीएच.डी. की और उर्दू साहित्य के प्रोफेसर के रूप में वहां अध्यापन करना शुरू कर दिया । उन्होंने वहां 16 वर्षों तक शिक्षण किया । इसके बाद उनके मार्गदर्शन में कई छात्रों ने पीएचडी की ।
o कविता क्षेत्र में आने से पहले, वह एक चित्रकार बनना चाहते थे और जिसके लिए उन्होंने व्यावसायिक स्तर पर पेंटिंग करना भी शुरू कर दिया था । इस दौरान वह बॉलीवुड फिल्म के पोस्टर और बैनर को चित्रित करते थे । यही नहीं, वह आज भी पुस्तकों के कवर को डिजाइन करते हैं ।
o उनके गीतों को 11 से अधिक Blockbaster Bollywood Movies में इस्तेमाल किया गया । जिसमें से मुन्ना भाई एमबीबीएस एक है ।
o वह एक सरल और स्पष्ट भाषा में कविता लिखते हैं ।
o वह अपनी शायरी की नज़्मों को एक खास शैली में प्रस्तुत करते हैं ।
आज 2020 ने हमसे एक और उम्दा शख्सियत को छीन लिया | भगवान् उनकी आत्मा को शांति दे |
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