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New Education System |
Latest News | भारतीय संविधान के चौथे भाग में उल्लिखित नीति निदेशक तत्वों में कहा गया है कि प्राथमिक स्तर तक के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाय । 1948 में डॉ॰ राधाकृष्णन की अध्यक्षता में University Education Commission के गठन के साथ ही भारत में शिक्षा-प्रणाली को व्यवस्थित करने का काम शुरू हो गया था । 1952 में लक्षमणस्वामी मुदलियार की अध्यक्षता में गठित Secondary Education commission , तथा 1964 में Daulat Singh Kothari की अध्यक्षता में गठित शिक्षा आयोग की अनुशंशाओं के आधार पर 1968 में Education System पर एक प्रस्ताव प्रकाशित किया गया जिसमें ‘राष्ट्रीय विकास के प्रति वचनबद्ध, चरित्रवान तथा कार्यकुशल’ युवक-युवतियों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया । मई 1986 में New National Education System लागू की गई, जो अब तक चल रही है । इस बीच National Education system की समीक्षा के लिए 1990 में आचार्य राममूर्ति की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति, तथा 1993 में प्रो. यशपाल समिति का गठन किया गया ।
New Education System-2020 को Cabinet की मंज़ूरी मिल गई है । केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बुधवार को Press Confrence कर इसकी जानकारी दी । यानी 34 साल बाद देश में एक New Education System लागू की जा रही है । मानव संसाधन विकास मंत्रालय(Ministry of Human Resource) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय(Ministry Of Education) कर दिया गया है।
Ramesh Pokhriyal Nisank |
पूर्व इसरो प्रमुख के Kasthuri Rangan की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने इसका मसौदा तैयार किया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को मंज़ूरी दी ।
नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं ।
New Education System-2020 की मुख्य बातें-
- New education System में पाँचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है । इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है | विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी | हालांकि NewEducation System में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा |
- साल 2030 तक School Education में 100% जीईआर (Gross Enrolment Ratio) के साथ माध्यमिक स्तर तक 'Education for all ' का लक्ष्य रखा गया है |
- अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा में लाया जाएगा | इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी |
- स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है. इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है |
- New Education System में Pre Schooling के साथ 12 साल की School Education और तीन साल की आंगनवाड़ी होगी | इसके तहत छात्रों की शुरुआती Stage की पढ़ाई के लिए तीन साली की Pre-Primary और पहली तथा दूसरी Class को रखा गया है | अगले Stage में तीसरी, चौथी और पाँचवी Class को रखा गया है | इसके बाद Middle School 6-8 कक्षा में Subject का Introduction कराया जाएगा | सभी छात्र केवल तीसरी, पाँचवी और आठवी कक्षा में परीक्षा देंगे | 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पहले की तरह जारी रहेगी. लेकिन बच्चों के समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा | एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र 'परख (समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) एक मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा |
- पढ़ने-लिखने और जोड़-घटाव (संख्यात्मक ज्ञान) की बुनियादी योग्यता पर ज़ोर दिया जाएगा | बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत ज़रूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए 'एनईपी 2020' में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा 'बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन' की स्थापना किए जाने पर विशेष ज़ोर दिया गया है |
- एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफ़ईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा |
- स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच ख़ास अंतर नहीं किया जाएगा |
- सामाजिक और आर्थिक नज़रिए से वंचित समूहों (SEDG) की शिक्षा पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा |
- शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफ़ेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा |
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है | इसका मतलब है कि रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे |
- GDP का 6% education में लगाने का लक्ष्य जो अभी 4.43% है |
- नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है |
- 6th class से Vocational Course शुरू किए जाएंगे | इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को 6th class के बाद से ही Internship करवाई जाएगी | इसके अलावा Music and Arts को बढ़ावा दिया जाएगा | इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा |
- उच्च शिक्षा के लिए एक Single Regulator रहेगा | Law and Medical Education को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा |
- HECI के चार Free Vertical होंगे- विनियमन के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (NHERC), मानक निर्धारण के लिए सामान्य शिक्षा परिषद (JEC), वित पोषण के लिए उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (HEGC) और प्रत्यायन के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (NAC) |
- उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसद GER (Gross Enrollment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य है. फ़िलहाल 2018 के आँकड़ों के अनुसार GER 26.3 प्रतिशत है. उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी |
- पहली बार Multiple Entry and Exit system लागू किया गया है | आप इसे ऐसे समझ सकते हैं | आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन Multiple Entry and Exit system में एक साल के बाद Certificate , दो साल के बाद Diploma और तीन-चार साल के बाद Degree मिल जाएगी | इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है |
- New Education System में छात्रों को ये आज़ादी भी होगी कि अगर वो कोई Course बीच में छोड़कर दूसरे Course में दाख़िला लेना चाहें तो वो पहले Course से एक ख़ास निश्चित समय तक Break ले सकते हैं और दूसरा Course Join कर सकते हैं |
- उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं | जो छात्र Research करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का Degree Diploma होगा | जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही Degree Diploma करेंगे \ लेकिन जो Research में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के Degree Diploma के बाद सीधे पीएचडी (PhD) कर सकते हैं | उन्हें एमफ़िल (M.Phil) की ज़रूरत नहीं होगी |
- शोध करने के लिए और पूरी उच्च शिक्षा में एक मज़बूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में National Research Foundation (एनआरएफ़) की स्थापना की जाएगी | एनआरएफ़ का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को सक्षम बनाना होगा | एनआरएफ़ स्वतंत्र रूप से सरकार द्वारा, एक Board Of Governors द्वारा शासित होगा |
- उच्च शिक्षा संस्थानों को फ़ीस चार्ज करने के मामले में और पारदर्शिता लानी होगी |
- SC,ST,OBC और अन्य विशिष्ट श्रेणियों से जुड़े हुए छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाएगा | Scholarship प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रगति को समर्थन प्रदान करना, उसे बढ़ावा देना और उनकी प्रगति को Track करने के लिए National Scholarship Portal का विस्तार किया जाएगा | Private High Education Institutes को अपने यहां छात्रों को बड़ी संख्या में मुफ़्त शिक्षा और छात्रवृत्तियों की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा |
- ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे | Virtual Labs विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है |
- हाल ही में महामारी और वैश्विक महामारी में वृद्धि होने के परिणामस्वरूप ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सिफ़ारिशों के एक व्यापक Set को Cover किया गया है, जिससे जब कभी और जहां भी पारंपरिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का साधन उपलब्ध होना संभव नहीं हैं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को E-Education की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए MHRD में डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनाई जाएगी |
- सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और उन्हें और जीवंत बनाने के लिए नई शिक्षा नीति में पाली, फ़ारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक Indian Institute of Translation and Interpretation (आईआईटीआई), राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना करने, उच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भाषा विभागों को मज़बूत करने और ज़्यादा से ज़्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों में, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा का उपयोग करने की सिफ़ारिश की गई है |
उम्मीद है New Education system - 2020 से अपने देश की शिक्षा को और भी मजबूती प्रदान की जाएगी ||
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