बांध दुखों की पोटली , लौट रहे थे घर- बार
आयी ऐसी त्रासदी ,बिखर गया संसार ||
अब ये तो वो मुश्किले हो गई जिनका डेटा सरकार के पास मौजूद हैं लेकिन उस नुकसान की भरपाई कैसे हो पायेगी जिसका कोई लेखा- जोखा ही नहीं है। यहां बात उन प्रवासी मजदूरों की जा रही हैं जो शहरों में कमाई और जीवन व्यापन करने आये थे लेकिन Coronavirus के चलते घर जाने को मजबूर हो गए थे |
दरअसल मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में सरकार की लिखित प्रतिकिया पर विपक्ष ने आलोचना और नाराज़गी जताई | प्रवासी मृत्यु पर कोई डेटा नहीं है इसलिए मुआवजे का "सवाल नहीं उठता है", केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने सोमवार को संसद में एक सवाल पर कहा कि क्या उन लोगों के परिवार जिन्होंने घर पहुंचने की कोशिश करते हुए अपनी जान गंवा दी थी?
जबकि सबसे ज्यादा तकलीफ प्रवासी मजदूरों ने ही उठाई हैं | तो उनकी तरफ ध्यान देना ही मानवता होगी |
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