इवांका ट्रम्प ने इस लड़की की कहानी देखकर क्या कहा??



हर बेटी  के नसीब मे पिता  होता हैं  ,
लेकिन हर बाप के नसीब मे बेटी नहीं होती ।

   इस लोकडाउन  के चलते  बहुत सी ऐसी  कहानियां  निकल  कर सामने  आ रहीं  हैं जो कि सराहनिय है और  दिल को छु जाने वाली  है। ये कहानी बिहार कि ज्योति की  हैं ।  ज्योति के पिता गुरुग्राम में रिक्शा चलाते थे और उनके दुर्घटना का शिकार होने के बाद वह अपनी मां और जीजा के साथ गुरुग्राम आई थी और फिर पिता की देखभाल के लिए वहीं रुक गई। इसी बीच कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की घोषणा हो गई और ज्योति के पिता का काम ठप्प पड़ गया। ऐसे में ज्योति ने पिता के साथ साइकिल पर वापस गांव का सफर तय करने का फैसला किया।
  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी और सलाहकार इवांका ट्रंप ने बिहार की 15 वर्षीय बेटी ज्योति कुमारी की हिम्मत को सराहा है। ज्योति ने लॉकडाउन में हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा तक बीमार पिता को साइकिल पर बैठाकर 1200 किलोमीटर का सफर तय किया था। मामला सामने आने के बाद साइकलिंग फेडरेशन ने उसे ट्रायल के लिए बुलावा भेजा है।

इवांका ने एचटी मीडिया समूह की वेबसाइट लाइव मिंट पर ज्योति के बारे में खबर पढ़ी, तो वे इसे शेयर करने से अपने आप को नहीं रोक पाईं। उन्होंने उसकी हिम्मत और धैर्य की प्रशंसा करते हुए ट्वीट किया। इवांका ने लिखा, "15 साल की ज्योति कुमारी सात दिन में 1,200 किलोमीटर की दूरी तय करके अपनी साइकिल के पीछे अपने घायल पिता को बैठाकर अपने गांव में घर ले गई। धैर्य और प्रेम का यह खूबसूरत साहसिक कार्य भारतीय लोगों और साइकलिंग फेडरेशन की कल्पनाओं पर छा गया है!"
     अपने घर में ही पृथकवास का समय काट रही ज्योति ने कहा कि अगर उन्हें मौका मिलता है तो वह ट्रायल के लिए तैयार हैं। 15 साल की ज्योति ने दरभंगा से फोन पर बताया, ''साइकिलिंग महासंघ वालों का मेरे पास फोन आया था और उन्होंने ट्रायल के बारे में बताया। अभी मैं बहुत थकी हुई हूं, लेकिन लॉकडाउन के बाद अगर मुझे मौका मिलेगा तो मैं जरूर ट्रायल में हिस्सा लेना चाहूंगी। अगर मैं सफल रहती हूं तो मैं भी साइकिलिंग में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं।''
   किसी न्यूज़ चैनल पर दिखाए गए इस विडिओ को देखिये-



  तीन बहन और दो भाइयों के बीच दूसरे नंबर की संतान ज्योति ने कहा कि वह पढ़ाई छोड़ चुकी हैं, लेकिन अगर मौका मिलता है तो दोबारा पढ़ाई करना चाहती हैं।  उन्होंने कहा, ''मैं पढ़ाई छोड़ चुकी हूं लेकिन अगर मौका मिला तो मैं दोबारा पढ़ाई शुरू करना चाहती हूं।''

सवाल  ये उठता  है कि जब ये लड़की  इतनी  लम्बी  दुरी  तय कर  रही  थी तब कोई  क्यों  मदद के लिये सामने  नहीं आया  ?  ये लड़की  रिकॉर्ड  बनाने नहीं  निकली थी  ? इसकी  मज़बूरी  थी  । ना जाने इतने  लम्बे रास्ते में  इसने  किन-किन  मुश्किलों  का  सामना  किया होगा और  जब ये अपने  फैसले में  सफल हो जाती  हैं  तो हर कोइ  अपनी संवेदना  लेकर पहुँच  रहा है । जब  इन्हें  वाकई मे मदद कि जरुरत थी  तब इन्हें  मदद नहीं  मिली  ।
 आखिर कब  तक लोगो कि ये तक़लीफ़े  ख़तम होंगी  और  सही  जगह तथा  सही  टाइम पर मदद मिल पायेगी  ?
 Comment section मे अपनी  राय जरुर दे ।

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